सरदार का जूता
एक सरदार का जूता फट गया। उसने जूता मोची को दिया और कहा कि इसे ऐसा फर्स्ट क्लास तैयार कर कि शकल नज़र आये। मोची ने जूते में शीशा फिट कर दिया।
सरदार के पड़ोसी शर्मा जी की पत्नी सरदार की दुकान पर आयी तो सरदार ने चुपके से जूता उसकी साड़ी के नीचे सरका दिया और कहा, 'भाभीजी, आपने नीली पैंटी`पहनी हुई है।'
मिसेज शर्मा हैरान रह गई लेकिन शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पाई।
जिज्ञासावश अगले दिन मिसेज शर्मा लाल पैंटी पहन कर सरदार की दुकान पर गयी। सरदार ने धीरे से अपना जूता मिसेज शर्मा की टांगों के बीच सरकाया और बोला, 'भाभीजी, आज तो आपने लाल पैंटी पहनी हुई है।' मिसेज शर्मा और ज्यादा आश्चर्यचकित हो गई। उसने सरदार को अच्छे से टेस्ट करने की सोची।
तीसरे दिन मिसेज शर्मा बिना पैंटी पहने सरदार की दुकान पर गयी। सरदार ने जैसे ही जूता मिसेज शर्मा की साड़ी के नीचे सरकाया, उछल के बोला: ‘ओय तेरे की! जूता फिर से फट गया।’